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कहते हैं आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है! लेकिन यह कहावत सिर्फ उनके लिए है जिनके अंदर बदलाव के लिए कदम उठाने और कुछ बदलने का जज़्बा होता है। 12 साल की शालिनी के उसी जज़्बे की वजह से आज कई दिव्यांगों और बुजुर्गों की मदद हो पा रही हैं।
कहते हैं आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है! लेकिन यह कहावत सिर्फ उनके लिए है जिनके अंदर बदलाव के लिए कदम उठाने और कुछ बदलने का जज़्बा होता है। 12 साल की शालिनी के उसी जज़्बे की वजह से आज कई दिव्यांगों और बुजुर्गों की मदद हो पा रही हैं।